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कविता

चूड़ियाँ पहनने की कला

सुकृता पॉल कुमार

अनुवाद - सरिता शर्मा


खाली पन्ना शब्द पहनता है
स्नेह और धैर्य से
काँच की चूड़ियाँ पहनने वाली लड़कियों की तरह
एक एक करके,एक-एक करके, ध्यान से हौले-हौले,
इस तरह सही फिट करना कि
हाथ दबाते हुए न चूड़ी टूटे
और न ही हाथ को चोट लगे

वे लटकती हुई ढीली और बड़ी न हों
या इतनी कसी भी न हों कि खाल से चिपक जाएँ
उन्हें धड़कने दो
उल्लास में बजते हुए, हाथ में चढ़ने दो
शब्दों और सृजन के
नृत्य में थिरकने दो।


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